पुष्कर महादेव मंदिर
क्या है ? पुष्कर महादेव मंदिर का इतिहास
श्रावण मास में आस्था का केंद्र महादेव शिव मंदिर अति प्राचीन मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि मंदिर के शिवलिंग की स्थापना: महाज्ञानी रावण की थी। और यहाँ पर अज्ञानवास के समय युधिष्ठिर नई और पूजा अर्चना की थी। यहां लगभग आधी सदी में अज्ञातवास पर जब देश अंग्रेजों की गुलामी के जंजीरों में था तब ब्रिटिश सेना और उसके आसपास के क्षेत्र पर कब्जा करना चाहते थे।
लेकिन कई देवीय का प्रकोप के चलते अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा।
लोक मान्यताओं के अनुसार रावण हर रोज जाकर भगवान शिव की पूजा करता था मान्यता यह भी है वहां से शिवलिंग लेकर वापस लौटता था। यह शिवलिंग भी रावण कैलाश से लेकर आया था।
मान्यता यह भी है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के समय युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और पत्नी सहित इस "यहां शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी। यह क्षेत्र वर्षों तक धनें जंगलों से घिरा रहा। कहा जाता है कि आज जिस स्थान पर शिवलिंग स्थापित है|
उस स्थान के आसपास बेलेपत्र का जंगल हुआ करता था
क्षेत्र के कुछ श्रघालू कावड यात्रा में शामिल हुए अयोध्या से जल भरकर कॉवड यात्रियों ने पुस्कर महादेव के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं तभी से यह परम्परा चालू हैं।
प्रधान पुजारी जी ने बताया कि पहली बार कांवड यात्रा में मात्र 20 व्यक्ति ही शामिल थे और आज पांच लाख से अधिक श्रद्धालू शामिल होते हैं।
कुछ कथाओं में लिखा है कि भगवान ने श्री परशुराम से यहां पर पुनः शिव मंदिर स्थापित करवाया था
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम लक्ष्मण और सीता 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे |
तब लक्ष्मण की पत्नी ने 14 वर्ष न सोने का संकल्प किया।
वे प्रतिदिन यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करती थी और अपने पती की लम्बी आयु की कामना करती थी।
बनवास समाप्त होने पर भगवान वापास आने पर लक्ष्मण को यह स्थान पुरस्कार स्वरूप दिया था
जाहा लक्ष्मण और उर्मिला पूजा अर्चना किया करते थे।
लक्ष्मण और उर्मिला का पुत्र अंगद और धर्मकेतू की भी भोलेनाथ में अधिक आस्था थी। अपने माता पिता के साथ वे भी पूजा-पाठ किया करते थे।
लोक मान्यताओं के अनुसार हजार फन वाले भगवान (शेषनाग) लक्ष्मण आज भी शंकर भगवान के पास उनकी देखरेख के लिए उपस्थित है।
कहा जाता है कि उर्मिला की पतिवता धर्म और पूषा निष्ठा को देखकर भगवान ने उन्हे आशीर्वाद दिया था कि मैं स्त्रियों की पूजा निष्ठा से जल्दी प्रसन्त्र हो जाऊँगा
इस स्थान पर इस जंगल में कई सारे ऋषि, मुनि तपस्या करते थे वे अपनी पत्नियों को काफी परेशान किया करते थे।
ऋषिकी पात्नयों की पूजा निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट होकर ऋषियों को
दंड दीया और कहा जब तक मैं यहाँ उपस्थित हूँ
कभी भी किसी स्त्री के साथ दुर्व्यवहार नही होगा लोक कथाओं के अनुसार 108 आम के पौधे लक्ष्मण
ने अपने हाथो से लगाये थे।
ऋषियों के अनुसार जो भक्त यहां श्रद्धा भक्ति से भगवान शिव की पूजा अर्धना करेगा
उसे सम्पति, ऐश्वर्य, सतांत, वैभव की प्राप्ति निश्चित ही होगी।